मोदी सरकार की महत्व कांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान के विज्ञापन पर पानी की तरह पैसा बहाए जाने के बावजूद जमीन पर इसका असर नजर नहीं आ रहा। सरकार योजना के तहत गांवों में भले ही टॉयलेट बनाने के दावे कर रही हो लेकिन शहरों में जमीनी हालत जस के तस हैं।
मोदी सरकार ने दो अक्टूबर को इस योजना का ऐलान किया था और उसके बाद योजना के विज्ञापन पर ही 94 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन जमीनी हालात अभी भी नहीं बदले हैं। इस योजना के तहत दो लाख करोड़ रुपए खर्च कर के 12 करोड़ टायलेट बनाने का लक्षय रखा गया है ,हालंकि ग्रामीण इलाकों में टॉयलेट निर्माण की गति तो ठीक है और पिछले साल के मधय इस योजना के तहत तीस लाख से जयदा टॉयलेट बना लिए गए थे लेकिन शहरों में सफाई के हालात नहीं बदले हैं।
हालांकि मीडिया ने भी प्रधानमंत्री की इस योजना में बढ़ चढ़ कर भाग लिया और आम जनता को सफाई की तरफ ध्यान देने की ताकीद की लेकिन देश के शहरों में डस्टन बीन्ज की कमी के कारन प्रधान मंत्री की यह योजना खटाई में पड़ती लग रही है। इतना ही नहीं प्रधान मंत्री की अन्य योजनाओं पर भी पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है।
मोदी सरकार की शुरू की गई बड़ी योजनाओं में जनधन योजना, एलपीजी सब्सिडी छोडऩे की योजना, प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, अटल पेंशन योजना, योग दिवस, डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं पर इस साल मार्च तक ही 780 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इनमे से 260 करोड़ रुपए के विज्ञापन प्रिंट मीडिया को जारी हुए जबकि रेडियो और टी वी को 451 करोड़ रुपए के विज्ञापन जारी किये गए। सरकार ने आउट डोर प्रचार के लिए 69 करोड़ रुपए की रकम खर्च की है लेकिन इसके बावजूद तस्वीर बदलती नजर नहीं आ रही।
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मोदी सरकार ने दो अक्टूबर को इस योजना का ऐलान किया था और उसके बाद योजना के विज्ञापन पर ही 94 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन जमीनी हालात अभी भी नहीं बदले हैं। इस योजना के तहत दो लाख करोड़ रुपए खर्च कर के 12 करोड़ टायलेट बनाने का लक्षय रखा गया है ,हालंकि ग्रामीण इलाकों में टॉयलेट निर्माण की गति तो ठीक है और पिछले साल के मधय इस योजना के तहत तीस लाख से जयदा टॉयलेट बना लिए गए थे लेकिन शहरों में सफाई के हालात नहीं बदले हैं।
हालांकि मीडिया ने भी प्रधानमंत्री की इस योजना में बढ़ चढ़ कर भाग लिया और आम जनता को सफाई की तरफ ध्यान देने की ताकीद की लेकिन देश के शहरों में डस्टन बीन्ज की कमी के कारन प्रधान मंत्री की यह योजना खटाई में पड़ती लग रही है। इतना ही नहीं प्रधान मंत्री की अन्य योजनाओं पर भी पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है।
मोदी सरकार की शुरू की गई बड़ी योजनाओं में जनधन योजना, एलपीजी सब्सिडी छोडऩे की योजना, प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, अटल पेंशन योजना, योग दिवस, डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं पर इस साल मार्च तक ही 780 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इनमे से 260 करोड़ रुपए के विज्ञापन प्रिंट मीडिया को जारी हुए जबकि रेडियो और टी वी को 451 करोड़ रुपए के विज्ञापन जारी किये गए। सरकार ने आउट डोर प्रचार के लिए 69 करोड़ रुपए की रकम खर्च की है लेकिन इसके बावजूद तस्वीर बदलती नजर नहीं आ रही।
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